भारत में प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या के रूप में उपस्थित है। जनसंख्या की वृद्धि के साथ बढ़ने वाले तरह तरह के प्रदूषण के फलस्वरूप तमाम लोग उन परिस्थितियों में जीने के लिए विवश हैं, जहां न पानी साफ है न हवा। इसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, जिससे उनकी क्षमताएं शिथिल हो जाती हैं, आयु कम हो जाती है। इस तरह आम आदमी का जीवन कुल मिलाकर आज कई तरह के प्रदूषण झेल रहा है।
वैचारिक प्रदूषण
आध्यात्मिक परिवेश में भौतिकतावादी दृष्टिकोण के प्रभावशाली कार्यान्वयन के कारण होने वाले वर्ग संघर्षों, निजी स्वार्थों, भावात्मक आक्रोशों, विकृत मनोभावों से वैचारिक
प्रदूषण उत्पन्न होता है।
ध्वनि प्रदूषण
अत्यधिक उद्योगों, चैबीस घण्टे चलने वाले कारखानों, विविध प्रकार के वाहनों,
दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली मशीनों के प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।
वायु प्रदूषण
कारखानों, वाहनों, चूल्हों, अंगीठियों और भट्टियों के धुंए के अलावा कीटनाशक दवाओं एवं परमाणु बमों के विस्फोटों से वायु प्रदूषण पैदा होता है।