समस्या :

samasya

खबर का बहुवचन रूप होता है अखबार। जिस तरह अखबार का पन्ना पलट देने
से किसी खबर की तल्खी कम नहीं होती, उसी तरह किसी खबर पर अखबार के
संपादक के नाम पत्र लिख देने भर से भी किसी समस्या से मुक्ति नहीं मिलती।
चंद लोगों की वजह से उत्पन्न परेशानियों को आम समस्या कहकर या किसी
समस्या को निबंध अथवा वादविवाद का विषय बनाकर छोड़ देना पर्याप्त नहीं।

सबसे पहले हमें दिल से समाज को अपना और अपने को समाज का मानना
होगा, फिर दिमाग से किसी भी सामाजिक समस्या को सार्वजनिक चुनौती के
रूप में स्वीकार करना पड़ेगा। समस्या के निवारण के लिए समाज का एकजुट
होना जरूरी है। इसलिए नहीं कि संघर्ष हो, बल्कि इसलिए कि परिस्थिति बदले,
उसमें समय रहते सुधार हो। एकजुट होने पर बातों बातों में ही कोई ऐसी बात
पैदा हो सकती है, जिसमें समाधान की आशा की किरण दिख जाए।

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सदाचार :

sadachar

सदाचार की शिक्षा देने वाले पाठ, पढ़ाई की किताबों में क्यों शामिल किए जाते हैं
या अपनी आन के लिए जान दे देने वालों के आदर्शों की स्थापना क्यों की जाती है ?
शायद इसलिए कि आने वाली पीढि़यां अपने जीवन में इस तरह के सिद्धांतों को
अपनाएं और उनके कोमल मस्तिष्कों का सामाजिक मूल्यों पर इतना पक्का विश्वास
हो जाए कि वे मरते दम तक किसी भी कीमत पर उनसे विचलित न हों।

लेकिन असलियत कुछ और ही है। कभी कभी वे जो परीक्षाएं देते हैं,
उनकी व्यवस्था में धांधली हो जाती है। वे जिन साक्षात्कारों में उपस्थित
होते हैं, उनके विशेषज्ञ पक्षपात कर बैठते हैं। वे जो खाते पीते हैं, उसमें
मिलावट पाई जाती है या वे जो इलाज करवाते हैं, उसकी दवाइयां नकली
होती हैं। इस तरह की तमाम खबरें अखबारों में पढ़ने को मिलती रहती हैं।

संस्कृति :

sanskriti

दिमाग ने आत्मरक्षा के लिए शस्त्र ईजाद किए, जिन्हें हाथ में पकड़ कर इस्तेमाल
किया जाता है। आमने सामने की लड़ाई में खतरे के चांसेज ज्यादा होने की वजह
से छिपकर या दूर से ही शस्त्र द्वारा अस्त्र फेंकने के आइडिए ने धनुष वाण को साकार
कर दिया। यहां देखने वाली बात ये है कि वह तलवार हो या चाकू, तोप हो या बंदूक
यह दिल उन्हें भी प्रदर्शनीय बनाना चाहता है, मौका मिलते ही नक्काशी तक कर देता है।

युद्ध के साधनों को सुंदर आकार में देखने के अभिलाषी दिल ने मार-काट के कारणों को
मिटाने के लिए भी कम प्रयास नहीं किया है। इस प्रयास में जो कलाएं पनपती हैं, उन
पर भी लोग नाज़ करते हैं। इसमें आचार-विचार, आस्था-विश्वास आदि के अतिरिक्त समाज
की रूचियों व कलाकौशल की साफ झलक दिखाई देती है। मानवता के पक्ष में विकसित
स्नेह, सहयोग, त्याग, परोपकार आदि की सद्भावनाएं प्रतिबिंबित होती हैं।
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सभ्यता :

sabhyta

आदमी के पास दो पैर होते हैंए इसलिए यह बात किसी को भी अटपटी लग सकती है
कि वह एक ही पैर से चलता है। लेकिन यही सच हैए क्योंकि आगे बढ़ने के लिए दोनों
पैर उठाने पर तो वह गिर जाएगा। इसलिए वह जो कदम आगे बढाता है, उसे जमीन
पर टिकाने के बाद ही पीछे रखा हुआ कदम उठाता है।

दो पैरों के अलावा कुदरत ने आदमी को दो चीजें खास तौर पर प्रदान की हैं = एक दिल
और एक दिमाग। दिमाग से वह जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने और दिल से वह
जिंदगी को खूबसूरत बनाने की कोशिश करता है। इस कोशिश में जो सभ्यता विकसित होती
है, उस पर लोग कालांतर में गर्व करते हैं।