रुबाई: कोशिश:

रुबाई: कोशिश:

करते हैं गर बहस आपसे हम कभी
उसका मतलब लड़ाई या झगड़ा नहीं
आप हमसे खफ़ा आपसे हम ख़फा
ये भी है इक वफ़ा जाने कितनी दफ़ा

रूठते हैं मनाते हैं मुस्काते हैं
इस तरह हम समझते हैं समझाते हैं
असलियत का सबक जिंदगी के लिए
एक दूजे की साझा खुषी के लिए

कहते हैं गर कभी बात कड़वी कोई
उसका मतलब लड़ाई या झगड़ा नहीं
ये मोहब्बत का इक लाजमी रंग है
उलझनों से निकलने का इक ढंग है

उलझनें प्यार करने न देंगी हमें
सच का इजहार करने न देंगी हमें
फ़लसफा ये समझने की कोशिश करो
लड़ के भी प्यार करने की कोशिश करो

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इंतजार :

intjarरुबाई: इंतजार :

खुषी की चाह में हर गम भूले
किसी का इंतजार करते हैं
नहीं जलते दिए उम्मीदों के
गर्दिषों की हवा से डरते हैं

अपनी किस्मत में उजाले न सही
पर अंधेरे तो साथ देते हैं
जब खुषी साथ छोड़ जाती है
गम तभी हाथ थाम लेते हैं

ए मेरे हमसफर अभी न रुको
गर रुके तो मिलेगी रुसवाई
रुक रहे तो मुझे मत रोको
मेरी मंजिल अभी नहीं आई

साकी :

 

sakiरुबाई : साकी :

साकी ! ये सच है हम तेरे काबिल नहीं
हम न खैयाम हैं और न बन पाएंगे
फिर भी इनकार मत कर न जा रूठ कर
वरना जजबात दिल के मचल जाएंगे

रुक भी जा साकी ए ! तुझको मय की कसम
तू रुकेगी जमाना भी रुक जाएगा
तू चली जाएगी तो भी कुछ गम नहीं
खुद ही ढालेंगे खुद ही पिए जाएंगे

हमने माना कि महफिल में तेरे बिना
मीठी घुंघरू की झनकार मुमकिन नहीं
पर खयालों में जब रक्स होगा तेरा
जाम की दाद दिल से दिए जाएंगे

kashmkash

रुबाई: कषमकष

परवाने को आगे बढ़ता देख षमा ने मन में सोचा
बुझ सकती हूं लेकिन बुझ जाने पर महफिल का क्या होगा
अरमानों का जोष उमड़ता देख हुस्न थोड़ा घबराया
परवाना गर नहीं रहा तो इस टूटे दिल का क्या होगा

जजबातों से हुस्न दबे तो जान इष्क की बच जाएगी
मगर अंधेरे में महफिल के राही राह भूल जाएंगे
कुछ के लिए मिटूं या जलती रहूं कई के लिए क्या करूं
इष्क फर्ज के दम्र्यां जलती बुझती मुष्किल का क्या होगा

कुछ से ज्यादा कई वकत रखते हैं लोगों की नजरों में
ऐसी हालत में महफिल से वफा निभाना ही जायज है
दिल के लिए बेवफा होकर कत्ल कर दिया अरमानों का
अब दुनिया ही सोचे मेरे जैसे कातिल का क्या होगा

ना :

naa

रुबाई : ना :

ना विरासत से मिला करता है
ना इबादत से मिला करता है
मकसद ए जिंदगी जमाने में
सिर्फ मेहनत से मिला करता है

ना मोहब्बत से मिला करता है
ना ही नफरत से मिला करता है
एैसा लगता है जिंदगी का मजा
साफ आदत से मिला करता है

ना तो ताकत से मिला करता है
ना ही दौलत से मिला करता है
ऐसा लगता है जिंदगी का सुकूं
सिर्फ खिदमत से मिला करता है

कभी :

kabhiरुबाई : कभी :

कल्पना के पंख पाकर उड़ रही
आरजूओं पर न था पहरा कभी
आइने को साफ करते रह गए
पर न पोछा ठीक से चेहरा कभी

वक्त की आवाज कर दी अनसुनी
दोस्तों की राय अक्सर टाल दी
अपने दिल की बात को भी ना सुने
आदमी इतना न था बहरा कभी

मुश्किल :

mushkilरुबाई : मुश्किल :

लोगों का बर्ताव मेरी यादों के
नीचे दबा पड़ा है
लेकिन उनके लिए मेरा
वैसा करना मुश्किल लगता है

मेरी कुछ उम्मीदें मुझसे
ज्यादा बूढ़ी हो चुकीं मगर
मेरे मरने से पहले
उनका मरना मुश्किल लगता है

उसूल :

usulरुबाई : उसूल :

दुनिया से जाने वाले का गम
कितना भी बड़ा क्यों न हो
मगर आंसुओं से कोई
बरतन भरना मुश्किल लगता है

जिनके लिए उसूल जिंदगी से
ज्यादा माने रखते हैं
उनका धमकी या हथियारों
से डरना मुश्किल लगता है

अरमान :

armanरुबाई : अरमान

कोई भी पल आता है इक बार दुबारा नहीं

सच्चा बादल छाता है इक बार दुबारा नहीं

हर इक पल को जीने का अरमान हमारा है

हर बादल को पीने का अरमान हमारा नहीं

सोते रोज नए सपनों के साथ दिवाने थक

उठते ताजी उम्मीदों के साथ सवेरे जग

मंजिल की ही राह बूझते और जूझते से

तकलीफों के साथ खेलते रोजगार से लग

मैं :

mainरुबाई : मैं :

अपनी आदत के तकाजों में
खो गया था मैं
अपनी हसरत के इलाजों में
खो गया था मैं
किससे शिकवा करूं अब
उम्र की बरबादी का
जिंदगी तेरे रिवाजों में
खो गया था मैं

मेरे मजार पे ए मौत
तू उदास न हो
तेरे करीब तेरा होके
आ रहा हूं मैं
जिंदगानी के उभरते हुए
हालातों को
वक्त के जाम पिलाकर
मना रहा हूं मैं