लिल :

lilaदोहावली : लिल :

अक्तूबर मैं रामलिल हुंछि
जब हर एक साल
वाईं देखिनान गदा धनु
बान खड्ग और ढाल

सेस्नि भेस मैं मैस और
बुड़ा रोल मैं ज्वान
बार बाज्य तक खोम्च वाल
सब्बै तिर बेचनान

इंतजार मैं बैठ रौ
कुक्र लिबेर बिस्वास
क्वे त आल एस खान्य जो
मी लै देल एक गास

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गाड़ :

gaarhदोहावली : गाड़ :

गौं मैं छन कम लोग पर
सब आप्नै लाग्नान
सहरौं मैं छन भीड़ पर
सब एक्ल्वे मान्नान

आबहवा खन कंर्छ जब
तापमान बेचैन
माट्टै तीस निमूंछ तब
ऐबेर सौनौ म्हैन

यां लै वां लै तां लगै
है रौ अस्सल झाड़
तबै भाजन्ने बाच्छि जसि
यो चौमासै गाड़

मजूर :

majurदोहावली : मजूर :

ट्रेन मेट्रो टेम्पो
बस आॅटो या कार
मुसाफिरौ की भीड़ जां
वां आनंदबिहार

उत्ती शोपिंग कर्न चैं
जत्ती घर मैं ठौर
वी है बा्ंकि करला त फिर
रून पड़्ल काईं और

सिटी बन्ल स्मार्ट अब
आज बनौ या भोल
वां बिल्डिंगौ बनाल जो
उन मजूर कां रौल ?

जिन :

jinदोहावली : जिन :

चा्ेरि बेर खान्य सरीफ और
मा्ंगिबेर खान्य महान
एक बनूनान योजना
दोस्र लिनान अनुदान

खान्या पिन्या हेर्न मैं
हालत हैगै पस्त
क्वे कत्तै कै टुन्न छन
क्वे कत्तै कै मस्त

रम ह्विस्की छाड़ दे च्यला!
अस्सल चीज नहान
आज बटै तू ..‘जिन’ पिए
ठुल बाज्यू कै ग्यान