सिनेमा: रहस्य रोमांच प्रधान – दो:
रहस्य और रोमांच से भरी हिंदी की सवाक् फिल्मों के तारतम्य में 1961 में जादू नगरी, बगदाद,, व अनारबाला, 1962 में बगदाद की रातें, हवा महल, जादू महल, जादूगर डाकू, बात एक रात की व बीस साल बाद, 1963 में वह कौन थी, पारसमणि, खुफिया महल, 1964 में कोहरा व जुआरी, 1965 में भूत बंगला, गुमनाम व पूनम की रात, 1966 में मेरा साया, ये रात फिर न आएगी व तीसरी मंजिल, 1967 में मुजरिम कौन, अनीता व ज्वैल थीफ, 1969 में इत्तफाक व थीफ आॅफ बगदाद तथा 1970 में कब क्यों और कहां आदि के नाम प्रमुख हैं।
‘‘ बीस साल बाद – 1962 – एक रहस्यमय कथा है और आरंभ से अंत तक दर्शकों को और फिल्म के नायक को घने जंगल में उभरती हुई घुंघरुओं व गाने की आवाज की खोज के भयानक रूप में बांधे रखती है। इसमें खूनी पंजे से की जाने वाली हत्या के दृश्यों से दर्शकों में भयंकर खौफ उत्पन्न हो जाता है। अंत में जाकर खूनी पंजे और डरावनी हवेली का रहस्य खुलता है। इस प्रकार इस फिल्म ने रहस्यपूर्ण हिंदी चित्रों की एक नई शैली को जन्म दिया।’’ 1
1971 में परवाना, 1973 में धुंध व अनामिका, 1974 में बंनाम, 1975 में फरार व खेल खेल में, मजबूर, 1980 में सबूत, 1982 में सुराग, 1985 में खामोश, 1989 में नागिन, 1990 में मोर्चा, 1991 में जादूगर, 1993 में डर व इंद्रजीत, 1994 में खिलाड़ी, 1995 में हथकड़ी, 1997 में गुप्त व जहरीला, 1998 में बिच्छू व दुश्मन, 1999 में कौन नामक फिल्में काफी लोकप्रिय हुईं।
2001 में अजनबी व दीवानगी, 2002 में गायब व हमराज, 2003 में भूत व समय, 2004 में ऐतराज व एक हसीना थी, 2005 में काल व शिकार, 2006 में गैंग्स्टर व चायना टाउन, 2007 में द ट्रेन, 2008 में आमिर, अ वेडनस डे व रेस, 2011 में मर्डर 2, 2012 में तलाश, 2013 में स्पेशल 26 व उंगली, 2014 में एक विलन, 2015 में दृश्यम्, 2016 में रुस्तम व एयर लिफ्ट, 2017 में खोज आदि फिल्में इसी परंपरा में बनती रही हैं। क्रमशः