भजन: हे परमेसर:
हे परमेसर ! हे भुवनेसर !
आज कृपा कर हमूं सक्ति दी
दी प्रेरक सद्बुद्धि कि सब्बौ
निज हित है परहित भल लागौ
फैलै दी एस भाव कि भट्क्या
भक्तौं को अंतर्मन जागौ
आप्न चरण मैं शुद्ध भक्ति दी
हे परमेसर हमूं सक्ति दी
सहज भावना सरल आचरण
भौसागर तरनै कि युक्ति दी
काम भस्म कर दी कस्सी कैं
क्रोध लोभ मोह है मुक्ति दी
ठगनी माया है बिरक्ति दी
हे परमेसर हमूं सक्ति दी