लोकसाहित्य: सामाजिक लोकोक्तियां:

samajikलोकसाहित्य: सामाजिक लोकोक्तियां:

सामाजिक: सामाजिक लोकोक्तियों के कई प्रकार हैं; जैसे –

जाति संबंधी:

बामण च्यलक उजणन ऐ रस्यार बण
जिमदारक च्यलक उजणन ऐ घस्यार बण

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जिमदार हुणि विचार नै
भैंस हुणि कच्यार नै

नारी संबंधी:

सैणि हुणि चूनै कि सौत
चोर हुणि खखारै भौत

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मुरुलि बजूंछै मैं त्यार नि औनी
बिणाई बजूंछी मैं त्यार नि औनी

धर्म संबंधी:

जो द्यल तन हुणि
ऊ द्यल कफन हुणि

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बिन गुरु बाट नै
बिना कोड़ी हाट नै

आचार संबंधी:

स्वा्र हुणि मरि गो नि कौन
आ्ग हुणि निमै गो नि कौन

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च्यल सुदरौं बबा का हात
च्येलि सुदरैं मै का हात

व्यक्तित्व संबंधी:

जां जां रघू पौण
वां नि रौ कुटी कौण

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सिरू सिर धार
बिरू बिर धार
टुकन्या बिचै धार

भोजन संबंधी:

गूड़ खै गुलैनी नै
लूण खै लुणैनी नै

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खा्ण हूं नि भै गेठी
कमर बांधि पेटी

नीति संबंधी:

राज करण आपुण देस
भीख मांगण परदेस

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मैंसक उजणन ऐ ग्वाल बण
लुवक उजणन ऐ फाल बण

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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