लोकसाहित्य: सामाजिक लोकोक्तियां:
सामाजिक: सामाजिक लोकोक्तियों के कई प्रकार हैं; जैसे –
जाति संबंधी:
बामण च्यलक उजणन ऐ रस्यार बण
जिमदारक च्यलक उजणन ऐ घस्यार बण
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जिमदार हुणि विचार नै
भैंस हुणि कच्यार नै
नारी संबंधी:
सैणि हुणि चूनै कि सौत
चोर हुणि खखारै भौत
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मुरुलि बजूंछै मैं त्यार नि औनी
बिणाई बजूंछी मैं त्यार नि औनी
धर्म संबंधी:
जो द्यल तन हुणि
ऊ द्यल कफन हुणि
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बिन गुरु बाट नै
बिना कोड़ी हाट नै
आचार संबंधी:
स्वा्र हुणि मरि गो नि कौन
आ्ग हुणि निमै गो नि कौन
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च्यल सुदरौं बबा का हात
च्येलि सुदरैं मै का हात
व्यक्तित्व संबंधी:
जां जां रघू पौण
वां नि रौ कुटी कौण
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सिरू सिर धार
बिरू बिर धार
टुकन्या बिचै धार
भोजन संबंधी:
गूड़ खै गुलैनी नै
लूण खै लुणैनी नै
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खा्ण हूं नि भै गेठी
कमर बांधि पेटी
नीति संबंधी:
राज करण आपुण देस
भीख मांगण परदेस
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मैंसक उजणन ऐ ग्वाल बण
लुवक उजणन ऐ फाल बण