गज़ल: हसीन साज़:
सबसे हसीन साज़ अनासिर का साज़ है
सबसे नफीस गीत खुदा की नमाज़ है
तारों की तरह अर्श के बन्दे हैं करोड़ों
सूरज की तरह एक वो बन्दानवाज़ है
हर आदमी मशगूल है रोटी की फिकर में
रोजी का इंतजाम यहाँ का रिवाज़ है
रोटी ने खड़े कर दिए बाजार और शहर
ईमान के झण्डे तले पैसों का राज है
खाने की पहनने की औ रहने की जंग में
हर हाथ में तलवार है हर सर पे ताज है
दुनिया को है पसन्द बहुत इश़्क.ए.मजाजी
हम को तो अपने इश़्क.ए.ह़कीकी पे नाज़ है