गजल: किलै:
वीकि उम्मीद
टूटि गै होली
तबै एसि बात
वील कै होली
या त कोई तनाव
होल वीखन
के कमी काम मैं
है रै होली
कति परेसान होल
उ जो लै होल
दुन्य यो जैल लै
बनै होली
मन अगर सान्त
रौ हमेसा त
तुम बता गड़बड़ी
किलै होली
सान्ति की रच्छ कर्न
खन कूनान
जो होल असान्त
वीकि जै होली