गज़ल : करते हैं :
चाँदनी रात में जब फूल खिला करते हैं
ज़मीन और आसमान मिला करते हैं
इस ज़माने में दिलों की ज़मीन पर अक्सर
प्यार के पौधे पनपते हैं हिला करते हैं
प्यार में दूरियाँ बढ़-चढ़ के मज़ा देती हैं
मतलबी लोग जुदाई का गिला करते हैं
जाने क्या बात है आँसू की तरल धारा से
स़ख्त से स़ख्त कलेजे भी छिला करते हैं
कैसे जीते हैं फटी ज़िन्दगी की चादर में
जो भड़कते हुए पैबन्द सिला करते हैं
जब से दिल टूटा है सर थाम के बैठे हैं वो
हर एक बात पे लाहौल विला करते हैं