लोकगीत : वीरतापरक लोकगाथाएं :
कुमाऊँ के वीरों की व्यक्तिगत शौर्यगाथाएं वीरतापरक लोकगाथाओं की श्रेणी में आती हैं।
‘भड़ाै’ अथवा ‘कटकू’ के नाम से प्रसिद्ध इन वीर गाथाओं में यहां के भट – योद्धाओं
या सैनिकों के वीरतापूर्ण कृत्यों का गान किया जाता है। अपने राज्य की सुरक्षा अथवा
विस्तार के लिए संघर्ष करने वाले वीर राजाओं और उनकी ओर से शत्रु का मान मर्दन
करने वाले पैक या मल्ल संबंधी ये गाथाएं वास्तविक घटनाओं पर आधारित होने के कारण
महत्वपूर्ण हैं। इनके तीन प्रकार हैं -ऐतिहासिक, जातीय और रोमांचक।
ऐतिहासिक लोकगाथाएं
ये गाथाएं मुख्यत: कुमाऊं के कत्यूरी एवं चंद राजाओं से संबंधित हैं, जिन्हें लोकगायक
बड़े चाव से गाते हैं। कत्यूरी राजाओं की वंशावली शाम को आंगन में कालीन बिछाकर,
अस्त्र-शस्त्र सजाकर, पंचमुखी दीप जलाकर एक निश्चित प्रकिया के तहत प्रस्तुत की जाती
है। लोकगायक स्तुति पाठ करते हुए सबसे पहले कत्यूरी राज्य की सीमा का बखान करता
है। कत्यूरी राजाओं की वीरगाथाओं में राजा बिरमा की गाथा प्रसिद्ध है।
खई जोती गे द्यूड़ जागि गो
सिंहासन लगि गईं गुरू बैठि गईं
सौ मण नंगारै नौमति बाजि गै
नैपाली रणसिंग, छुर, खाड़ाे, खाणु-हथियार छजि गईं
रूपधारी तपधारी बेताल राजा दुलासा
राजा बिरमा की द्वियै आल बैठि गईं
बलाण मैं चालौ खनीं उठन मैं चालौ खनीं
चाल जा चमकनीं भूचाल जा हिलनीं
जोत राजा कत्यूरां कि ..