लोकगाथा : हरू सैम 3
गाई धन देला सैंमज्यू
कलड़िया ठाट हो।
बैगिया लछिमि दी देला
दी देला चारै पदारथ हो।
सुपना में देखी सैमज्यू ले
छिपूला को कोट हो।
पिछुला का कोट होलि
राणि पिंगला हो।
बार भाई छिपुलों की होली
एक राणी पिंगला हो।
पिंगला देखी सैमज्यू जाणी
कै रुबा को कातो हो।
जाणी पुन्यू की चाननी,
बैसाखी सूरिज हो।
आधी रात मजा पिंगला
क्या बोली बोलाँछी हो-
”जै दिन बटी पिंगला का आयूँ
की दिन बती सदाबर्त छना हो।
सदावर्त अस्नान करँछु हो।
देखनक नों देवतै न देख्यो हो। क्रमशः