लोकगीत : धार्मिक लोकगाथाएं :
कुमाऊं की लोक आस्थाओं पर आधारित गाथाएं धार्मिक लोकगाथाओं की कोटि
में आती हैं। जागर के नाम से प्रसिद्ध इन गाथाओं के विशिष्ट गायक जगरिया
कहलाते हैं। इनका गायन अभीष्ट की प्राप्ति के लिए देवता का आह्वान करता है।
देवता या देवी का अवतरण होने पर डंगरिया द्वारा ढोल-नगाड़ाें की थापों पर
झूमते-नाचते हुए जिज्ञासुओं के प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं। ये गाथाएं देवी देवता
एवं सहायक शक्ति विषयक दो भागों में विभक्त हैं –
देवी देवता विषयक
इन गाथाओं में ग्वल्ल, भोलानाथ, गंगनाथ, कालसिन, नंदादेवी, गरदेवी आदि अनेक
देवी-देवताओं के जागर विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जिनमें उनके जीवनवृत्त का माहात्म्य
गाकर स्थानीय लोकगायक उनसे की जाने वाली मनौतियों का भी विस्तार सहित वर्णन करते
हैं। उदाहरण के लिए गंगनाथ के जागर की प्रारंभिक पंक्तियां दृष्टव्य हैं –
‘ओ हो हो ए रे गांगू !
डोटी को रौतान छिये, छै पलिया दीवान छिये
बबू भवैचना को कुंअर छिये, माता प्यूंला को लला छिये
बबू केसरी चना छन, आमा भानमती
गांगू कि उदेख बैराग लागौ त्वीकैं!’
सहायक शक्ति विषयक
लोकदेवताओं के साथ उनकी सहायक शक्तियों के जागर भी प्रचलित हैं। लोक विश्वास
है कि ये शक्तियां देवी देवताओं के गण हैं, अत: इनका आह्वान करना भी जरूरी है।
देवियों के साथ परियां तथा आंचरियां आहूत की जाती हैं और भोलानाथ के साथ ऐड़ी व
कलुवा वीर के आमंत्रण की मान्यता है –
‘कलुआ वीरा, केली घाट को जनमण
अरे वीरा सात हाथ खड्ड डालै
के चालो रचि दियां सात हाथा
खड्ड हाली डालौ धरमसिला पाथरा
कै चाली टोड़लै वीरा, त्यारा हाथ में
हथघड़ी छन गाव में घचेरी
खुटन में नेवर माथी धरमसिला पाथरा’