लोकगीत : अवतार संबंधी :
कुमाऊं में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबंधित
लोक गाथाएं भी गाई जाती हैं। इन गाथाओं में वाराह
अवतार, वामन अवतार, नृसिंह अवतार आदि की गाथाएं
अधिक प्रचलित हैं –
हिरणकसिपु बर लै मांगछ
अजर है जाऊं अमर है जाऊं
मिरता का लोक अमर नै हुना
दुव्या हात बटी कबै जन मरूं
आकास नी मरूं पैताल नी मरूं
जल मैं नैं मरूं थल मैं नैं मरूं
भैर ले नी मरूं भार ले नी मरूं
रात ले नी मरूं दीन ले नी मरूं
हत्यार की चोट भेल ले नी मरूं
नागवंश संबंधी
कुमाऊं में नागवंश की वंशावली से संबंधित एक विशेष
लोकगाथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार श्रीकृष्ण नागवंशी थे।
उनकी माता देवकी का विवाह वासुकि नाग के साथ हुआ था।
नागों की उत्पत्ति के संबंध में यह वर्णित है कि राजा औख की
चार रानियां थीं। दिति से देवता, अदिति से असुर, कद्रू से गीध
और वनिता से नाग उत्पन्न हुए थे।
असुरों का राजा कंस देवताओं तथा मनुष्यों पर अत्याचार करता था।
ब्रह्माजी के परामर्श से देवताओं ने अपनी जांघें चीरकर रक्त भरा
घड़ा उसके पास भेजा, कंस ने वह घड़ा अपनी वृद्धा मां पवनरेखा
को दिया। घड़े को सूंघने पर उसकी हवा मां की नाक में चली गई
जो उसकेे पेट में जाकर गर्भ बन गई। उसी गर्भ ने आगे चलकर
देवकी के रूप में जन्म लिया।