सिनेमा: पारिवारिक:
श्री ब्रजेश्वर मदान ने अपनी पुस्तक ‘सिनेमा नया सिनेमा’ के पृष्ठ 12 में लिखा है कि ‘ फिल्म देखने से पहले जिन फिल्मों की कहानियां पिताजी ने हमें सुनाई थी, उनमें एक फिल्म जेमिनी की संसार थी। इस फिल्म की हीरोइन आज की प्रसिद्ध हीरोइन रेखा की मां पुष्पावली थीं। यह फिल्म पिताजी को इसलिए पसंद आई कि उसमें परिवार के सदस्यों का एक दूसरे से गहरा प्यार दिखाया गया था। वह सुनाते हैं कि कैसे परिवार बिछुड़ता है, मिलता है और परिवार के सब सदस्य एक दूसरे के लिए किस तरह जान देने को तैयार हैं।’
इस फिल्म से पहले 1931 में थर्ड वाइफ, गृहलक्ष्मी, हठीली दुल्हन; 1933 में सौभाग्य सुंदरी; 1935 में क्वांरी और विधवा, बहन का प्रेम, घर जमाई, शादी की रात, स्त्रीधर्म; 1936 में ममता, लग्नबंधन, मां, मां की ममता, सुहाग का दान; 1937 में अनाथ आश्रम, औरत की जिंदगी, कुलबधू; 1938 में भाभी, डाइवोर्स; 1939 में कंगन, पति पत्नी; 1940 में बहूरानी, घर की रानी, सोहाग, आंधी आदि फिल्में बनीं।
1941 में सौभाग्य, चरणों की दासी, बहन, खजांची, ससुराल, शादी; 1942 में खानदान, लाजवंती, ममता; 1943 में भाईचारा, दुलहन, पति पूजा, अमानत; 1944 में मेरी बहन, भाई, मां बाप, बड़ी मां, कुल कलंक, घर; 1945 में दादा जी, घूंघट, देवर, नई मां; 1946 में दूल्हा, लाज, ग्वालन, सालगिरह, बाप, बहन बेटियां, बिंदिया, दासी और मां; 1947 में दो भाई, डोली, दूसरी शादी, घर की बहू, मंगल सूत्र, मेंहदी, मेरा सुहाग, पति सेवा; 1948 में दीदी, घरबार, घर की इज्जत, गृहस्थी, काजल, मेरा मुन्ना, मेरी भाभी, महल, दहेज; 1949 में छोटा भाई, बड़ी बहन, घराना, गृहलक्ष्मी, जन्मपत्री, मां का प्यार, ननद भौजाई, राखी, सुहागरात; 1950 में बाबुल, हमारा घर, हमारी बेटी, नई भाभी, भाई बहन, बहूरानी, छोटी भाभी आदि फिल्मों का निर्माण हुआ।
1951 में संसार और संस्कार, 1952 में बहू बेटी और ममता, 1953 में घरबार और दायरा, 1954 में पहली तारीख और औलाद, 1955 में जोरू का भाई और खानदान, 1956 में काबुलीवाला और दिया और तूफान, 1957 में भाभी और बड़ी बहू, 1958 में सुहाग और परवरिश, 1959 में छोटी बहन और लाजवंती, 1960 में मेरा घर मेरे बच्चे और मां बाप आदि फिल्में बहुत ज्यादा पसंद की गईं।
‘सवाक् भारतीय हिंदी फिल्म्स’ के लेखक श्री बी. एन. शर्मा के शब्दों में 1963 में बनी‘ये रास्ते हैं प्यार के नामक फिल्म एक अभूतपूर्व घटना – नानावटी काण्ड – को लेकर बनाई गई, जिसमें सुनील दत्त, रहमान और लीला नायडू ने जीवंत अभिनय प्रस्तुत किया।नौसेना के एक परिवार विशेष की यह एक जबरदस्त प्रणय कथा थी, जो उन दिनों प्रत्येक समाचार पत्र में चर्चा का विषय बनी हुई थी।’ क्रमशः