लोकगीत : राम व शिव :
राम संबंधी –
कुमाऊं में राम संबंधी लोक गाथाएं भी उपलब्ध होती हैं। सीता बनवास
आदि से संबंधित गाथाएं मुख्य हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम होने के कारण लोक
गाथाओं में राम का चरित्र कृष्ण की अपेक्षा कम विस्तार पा सका है।
सीता बनवास संबंधी गाथा के अनुसार –
‘रात खुली परभात भयो जमनाछाल में
सीता माता मायेडि़ को रे नींन टुटि छ
सीता रे माता कन बिपद बड़ी ऐ गो
वार पार चैंछ जमनाछाल मांजा
लछमन नी देखा सीता बेहोश हई गैछा
अरे धना रे धना, नरैन बेहोश हई गैछा’
शिव संबंधी –
कुमाउनी समाज पर शैव एवं शाक्त मतों का विशिष्ट प्रभाव होने के कारण
यहां शिव संबंधी लोकगाथाएं भी मिलती हैं। इन गाथाओं में दक्ष प्रजापति का
यज्ञ विध्वंस, कामदेव भस्म, भस्मासुर, बाणासुर आदि से संबंधित प्रकरण
प्रधान हैं। शिव पार्वती का वर-वधू के रूप में अधिक वर्णन हुआ है –
‘नीलकण्ठा मांजी ओ गुरु महादेवा
सृष्टि अधार गंग नीलकण्ठा देवा
नीलकण्ठा मांजी ओ गौरा पारवती
गुरु महादेव कै बैना बोलाला-
सुण मेरी गौराजा कानूं की भारत
मैं त जानूं गौराजा यो घुमण दुनियां
भैटी रये गौराजा तू नीलकण्ठ मांजा’