गजल: किसलिए:
किसलिए प्यार में सताया गया
कोई कारन नहीं बताया गया
बज्म-ए-उलपफत में जब भी पाँव रखा
दिल का हर मामला दबाया गया
कोई गुनाह न होने पाए
इसलिए ज़्ाुल्म-ओ-सितम ढाया गया
बेवफाई न हो सकी हमसे
उनसे वादा नहीं निभाया गया
जाने अब नींद क्यों नहीं आती
ख़ुद को किस-किस तरह सुलाया गया
मेरी आँखों से अश्क का कतरा
गिर पड़ा या उसे गिराया गया