लोकभाषा: ईरानी और दरद शाखा

 

iraaniलोकभाषा: 1. ईरानी शाखा

ईरानी शाखा के अन्तर्गत अवेस्ता, वर्गिस्ता, पश्तो, देवारी, बलूची, ओसेटिक,
कुर्दी, पहलवी तथा आध्ुनिक फारसी भाषाएँ आती हैं, जिनमें से अवेस्ता तथा
फारसी प्रमुख हैं। ईरानी भाषा के प्राचीन साहित्य में से पारसियों का धर्मग्रन्थ
‘अवेस्ता’ उपलब्ध होता है, जिसकी भाषा )ग्वेद की भाषा से कापफी मिलती
जुलती है। संस्कृत, अवेस्ता और पफारसी के शब्दों में भी पर्याप्त साम्य दृष्टिगोचर
होता है, जैसे-

फारसी संस्कृत अवेस्ता
अदम अहम् अजेम्
चहार चत्वारः चथ्वारो
दादः अन्द ददाति ददेन्ति
पिदर पितृ पितर
मादर मातृ मातर
यदी यदि येजी

2. दरद शाखा

दरद शाखा के अन्तर्गत तीन वर्ग माने गए हैं। पहला पश्चिमी वर्ग, जिसकी भाषा
काफ़िर कहलाती है, पर इसमें कोई साहित्य उपलब्ध् नहीं होता। दूसरा केन्द्रीय वर्ग,
जिसकी भाषा खोवारी कही जाती हैऋ जिसका चित्राली रूप अध्कि प्रचलित है।
तीसरा उत्तरपूर्वी वर्ग, जिसकी भाषाएँ शीना, कश्मीरी और कोहिस्तानी हैं। इनमें से
शीना प्राचीन दरद का विकसित रूप है। कश्मीरी कश्मीर प्रदेश की प्रचलित भाषा है
और कोहिस्तानी छोटी-छोटी बोलियों का समवेत नामकरण। क्रमशः

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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