लोकगीत : पौराणिक लोकगाथाएं
कुमाऊँ में अनेक पौराणिक गाथाएं प्रचलित हैं। इनके गायन को महाभारत लगाना
कहा जाता है, क्योंकि इनमें महाभारत से संबंधित गाथाएं ज्यादा लोकप्रिय हैं। इन
गाथाओं को श्रद्धापूर्वक सुना जाता है, इसलिए इन्हें सुनाने के लिए गायक भी स्थान
एवं अवसर का विशेष ध्यान रखते हैं। ये छ: प्रकार की हैं – महाभारत संबंधी,
कृष्ण संबंधी, राम संबंधी, शिव संबंधी, अवतार संबंधी तथा नागवंश संबंधी।
महाभारत संबंधी :
पौराणिक गाथाओं में महाभारत के प्रसंगों पर आधारित गाथाओं की बहुलता है।
इन गाथाओं में अभिमन्यु वध, शिशुपाल वध, भीम व दुर्योधन के वैमनस्य तथा
अजुर्न की प्रेम विषयक गाथाएं प्रमुख हैं। एक गाथा के अनुसार पाण्डवों और कौैरवों
की राज्यसीमा के एक पेड़ पर लगे मधु के छत्ते को लेकर उनमें लड़ाई शुरू हुई थी –
‘एक दिन उनन ले भंवर छत्ता देखौ
तब म्यारा नरैन भंवर छत्ता मांजा
मन सब करि हा अब भंवर छत्त पर
वो भारत जुड़न फैगो भगवान
अब कौरव पाण्डव को भारता शुरू हैगो’
कृष्ण संबंधी
कुमाऊं में प्रचलित लोकगाथाओं में कृष्ण की लीलाओं से संबंधित गाथाएं भी
पर्याप्त हैं। इनमें कृष्ण जन्म, रासलीला, अनिरुद्ध-बाणासुर व कालिय मर्दन
संबंधी गाथाएं उल्लेखनीय हैं –
अधराती हइ रैछ अन्यारी छ रात
अन्यारो जमुना को पाणी अन्यारो छ ताल
आंखों की नजर गई आंखन अन्यारो
हिरदा की आसा गई मन ले अन्यारो
कालो रीख जसो नाग काल छन किसन
कालो में को कालो हेरौ हेरौ महाकालो