सिनेमा: सवाक् सामाजिक 02

savaak 02सिनेमा: सवाक् सामाजिक 02

सामाजिक फिल्मों की श्रृंखला में 1961 में करोड़पति, हरियाली और रास्ता, घराना, गोदान, हम दोनों, अमर ज्योति, बेगाना; 1962 में आग और पानी, बिरादरी, राखी, ग्यारह हजार लड़कियां, आज और कल, सूरत और सीरत, बात एक रात की; 1963 में गुमराह, नर्तकी, उम्मीद, गहरा दाग, अरमान भरा दिल, जिंदगी और हम, राजा और रंक; 1964 में दूर गगन की छांव में, बेनजीर, हिमालय की गोद में, धरती कहे पुकार के, सुहागरात, सांझ और सवेरा, दोस्ती; 1965 में हमारा घर, आकाश दीप, उंचे लोग, ब्रह्मचारी, जौहर महमूद इन गोआ, चांदी की दीवार व काजल जुड़ीं।

फिर 1967 में राम और श्याम, राहगीर, दुल्हन एक रात की, तकदीर, लोफर; 1968 में किस्मत, संघर्ष, वासना, आदमी, सरस्वतीचन्द्र; 1969 में इंतकाम, तलाश, आशीर्वाद, नन्हा फरिश्ता, खामोशी, चंदा और बिजली, भुवन शोम; 1970 में सात फेरे, दोराहा, दगाबाज, नया रास्ता, हिम्मत, दस्तक, उसकी रोटी, सारा आकाश, आषाढ़ का एक दिन, एक अधूरी कहानी, बदनाम बस्ती आदि फिल्में उल्लेखनीय रहीं।

इनके अलावा 1971 में बुड्ढा मिल गया, पारस, सास भी कभी बहू थी, पतंगा, रखवाला, तेरे मेरे सपने, कल आज और कल, परवाना, गुड्डी, अमर अकबर एंथोनी, संसार, मेला, ऐलान, कारवां, फरिश्ते, बदनाम, बहुरूपिया, आबरू, आग और दाग; 1972 में सीता और गीता, जरूरत, कंगन, मुनीमजी, अनुराग, अच्छा बुरा, रिवाज, बाॅम्बे टू गोआ, घरौंदा, अपना देश, बुनियाद, चोर मचाए शोर, छुपा रुस्तम; 1973 में मेरे गरीब नवाज, जंगल में मंगल, जोशीला, जैसे को तैसा, झील के उस पार, दामन और आग, ज्वार भाटा, कीमत, प्राण जाए पर वचन न जाए, नैना, हंसते जख्म, अभिमान, अनामिका, नमक हराम; 1974 में ठोकर, संकल्प, फासला, असलियत, विदाई, त्रिमूर्ति, रोटी कपड़ा और मकान, अंकुर; 1975 में सजा, साधू, पाॅकेटमार, जीवनरेखा, और निशांत को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया।

तदुपरांत 1976 में हेराफेरी, सज्जोरानी, गंगा की सौगंध, अदालत, मंथन, मृगया; 1977 में ईमान धर्म, धूप छांव, उपर वाला जाने, खमन पसीना, जिंदगी, दिल और पत्थर, भूमिका, आलाप; 1978 में टूटे खिलौने, अपनापन, कर्मयोगी, आहुति, आखरी मुजरा, देवता, दादा, अमरशक्ति; 1979 में जानी दुश्मन, कसमें वादे, स्पर्श, दुविधा, अरविंद देसाई की अजीब दास्तान; 1980 में मांग भरो सजना, जुदाई, जुर्माना, दोस्ताना, राम बलराम, लोक परलोक, स्वयंवर, भोपाल एक्सप्रेस, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, चक्र, कलियुग, भवानी भाई, रेडरोज, आक्रोश इत्यादि फिल्में बनीं। क्रमशः

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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