गीत: ज़िंदगी:
एक उम्मीद मलि
आप्न स्वीना क झ्वल
टांगनी जां मरै ज़िंदगी
रीत कि छ यो बता
फर्ज है अब किलै
भाजनी जां मरै ज़िंदगी
आरसी में देखन्नै यो
कै की सकल
आप खन यदि आफी
नै पच्यान्नै अगर
छाड़ि आप्नी अकल
दोसरा की नकल
मंदिरों तक कतारों
कि लंबी डगर
चीज कि छ यो बता
द्याप्त थैं हर बखत
मांगनी जां मरै ज़िंदगी
आज जान्नैछ कां
भीड़ यो बावली
रात में सितनि नै
भोर में जाग्नि नै
ऐसि है गै छ को
आरजू मनचली
आप्न टेमै ले त
आंख लै लाग्नि नै
बात कि छ यो बता
रात और दिन किलै
जागनी जां मरै ज़िंदगी