सिनेमा: सवाक् सामाजिक 01
जहां तक समाज प्रधान फिल्मों का प्रश्न है 1932 में माधुरी, सुबह का तारा; 1933 में दोरंगी दुनिया, 1934 में शहर का जादू, धर्मात्मा; 1935 में काॅलेज गर्ल, जीवन नाटक, धूप छांव; 1936 में छाया, विलेज गर्ल, सुनहरा संसार; 1937 में इज्जत, बेगुनाह, दौलत, दुखियारी, माॅडर्न लेडी; 1938 में समाज पतन, ब्रह्मचारी, भाभी, दूल्हा, जेलर; 1939 में दुश्मन, खानदान, ब्राण्डी की बोतल; 1940 में दिवाली, जिंदगी, भरोसा, संस्कार, कन्यादान, कैदी, बंधन और हार-जीत नामक फिल्मों का बोलबाला रहा।
इसके बाद 1941 में राधिका, शारदा, कुवांरा बाप, डाॅक्टर; 1943 में पापी, फैरूान, कानून, काशीनाथ, भलाई, पगली, नादान; 1944 में पत्थरों का सौदागर, तकदीर, वापस, ललकार, लाल हवेली, लेडी डाॅक्टर, माय सिस्टर; 1945 में डाॅक्टर संन्यासी, जिद, ज्वार भाटा, छलिया, दोस्त, फूल; 1946 में शालीमार, शतरंज, कीमत, दोस्ती, अपराधी, धरती के लाल; 1947 में अंधों की दुनिया, दुनिया एक सराय, एक्स्ट्रा गर्ल, मिट्टी, शराबी, शाहकार, शहनाई, रिवाज; 1948 में एक्ट्रेस, अदालत, अंधों का सहारा, बंजारे, लखपति, हीरा, सोने की चिड़िया, लालच; 1959 में मंदिर, जोकर, पारस, शायर, नेकी और बदी, हंसते आंसू; 1950 में दहेज, बावरा, निर्दोष, संग्राम, वफादार, सिगार, नीली भंवर और मशाल आदि समाज प्रधान फिल्में बनीं।
1951 में बहार, बाजी, बुजदिल, नगीना, मदहोश, आशा, हलचल, हंगामा, मिस्टर संपत; 1952 में जलजला, संगदिल, रत्नदीप, आसमान, आशियाना, दो राह, दाग, आंधियां; 1953 में मालकिन, औरत, तीन बत्ती चार रास्ता, नास्तिक, नया सफर, शिकस्त, आकाश, बावला, लड़की; 1954 में अधिकार, लकीरें, मस्ताना, नौकरी, समाज,बराती, नागिन, सबसे बड़ा रुपैया, सौ का नोट; 1955 में पापी, घर घर में दीवाली, मिलाप, नाता, अमानत, बन्दिश, बाप रे बाप, चार पैसे, दुनिया गोल है आदि काफी लोकप्रिय हुईं।
1956 में जिंदगी, एक ही रास्ता, बसंत पंचमी, फण्टूश, आस्तिक, जल्लाद, आवाज, देवता, हम सब चोर हैं; 1957 में पेइंग गेस्ट, कठपुतली, पैसा, आदमी, देख कबीरा रोया, आधी रोटी, अभिमान, सोने की चिड़िया; 1958 में नास्तिक, समुंदर, मिस्टर कार्टून एम. ए., अदालत, चंदन, खजांची, काला पानी, परवरिश, आखरी दांव; 1959 में फासला, बैंक मैनेजर, धूल का फूल, सट्टा बाजार, चालीस दिन, आंगन, दीप जलता रहे, मधु तथा 1960 में बनीं काला आदमी, कानून, बेवकूफ, अपना हाथ जगन्नाथ, घूंघट, शादी, परख आदि फिल्में प्रमुख थीं। क्रमशः