लोकगीत : शौर्य विषयक कथागीत:
उत्तरी कुमाऊं में प्रचलित ‘बाली हाजुरा’ नामक एक कथागीत में
एक पुत्र अपने पिता को यह सूचना देता है कि कुछ आक्रमणकारी
आए हुए हैं, जिनसे लड़ने के लिए बाहरजाना होगा, पर समस्या यह
है कि वह अपने साथ किसे ले जाए ? कारण यह है कि उसके परिवार
में उसके पिता बहुत बूढ़े हो गए हैं, चाचा गांव के मुखिया हैं और भाई
अभी काफी छोटा है।
इस प्रकार चिंतित पुत्र को पिता परामर्ष देते हैं कि युद्ध के लिए
महर-फड़त्यालों के दल को अपने साथ ले जाओ। जब पुत्र यह
कहता है कि इतने लोगों से पूरा नहीं पड़ेगा, तब पिता यह सलाह
देता है कि कुमाऊं के कुमैयों को साथ ले जाओ। पुत्र को संदेह है
कि शायद अभी भी काम न चले।
के जती लै मैं साथ सरीमल बाली हाजुरा
महर फड़त्याल ल्हि जा साथ बाली हाजुरा
नै भया पुरलोग बबा ज्यू बाली हाजुरा
कुमूं को कुमैयां ल्हि जा साथ बाली हाजुरा
ठ्यो पारो गुड़ाल ल्हि जा साथ बाली हाजुरा
नै भया पुरलोग बबा ज्यू बाली हाजुरा
मुसिया कटक छ सुनि मैंल जान पड़न छ।