लोकगाथा: लक्ष्य – बेध 8
हिंदी रूपांतर
न जाने किस राजा का बाण
लक्ष्य पर लगेगा।
या तो मैंने
आँख की कानी होना होगा।
या मैंने,
पैरों की लंगड़ी होना होगा।
लली द्रोपदी
ढुल-ढुल रोने लगी।
सयानी स्त्रियाँ
समझाने लगीं।
बेटी! लली द्रोपदी सुनो-
लड़की को
दूसरे के घर ही जाना है।
चलो बहिन,
अब चलते हैं यज्ञशाल में।
लली द्रोपदी चलने लगी।
राजकुमार देखते रहे।
चकोर जिस प्रकार
चाँदनी को देखते हैं,
वैसे ही
देखते रहे राजकुमार। क्रमशः