लोकगाथा: लक्ष्य- बेध 6
हिंदी रूपांतर
उत्तर दिशा में हैं पाँचाल देश।
तीन वर्ष का रास्ता है, भाई गरुड़।
पक्षी गरुड़, हम नहीं आ सकते।
तब गरुड़ बोलने लगा-
तुम सभी पाण्डव मेरी पीठ में बैठ जाओगे।
दो घड़ी में (ही) पाँचाल देश पहुँचा दूँगा।
पाँचों भाई गरुड़ की पीठ में बैठ गये।
माता कुन्ती भी गरुड़ की पीठ में बैठीं।
गरुड़ पक्षी उड़ चला।
पाँचाल देश में थी कपिला नगरी।
उस नगरी में रहता था आत्माराम।
पाण्डव उसके डेरे में रहे (एक रात),
पाण्डव हैं’-यह कोई नहीं जानता (था)।
पाण्डवों का कुल, कौतुक (के स्थान पर पाँचाल) पहुँचा।
राजाओं और राजाओं की भीड़ जुटी थी। क्रमशः