गजल: कस टैम:
कस टैम आ कि आप्न
बिराना जसा है ग्यान
आंखा क साम्न रून्य
बजारौं मैं हरै ग्यान
सहरौं मैं काम कन्र्य
लिग्यान आप्नि फेम्ली
तलि मलि कुड़ी मैं रौन्य
एत्थ उत्थ कै न्है ग्यान
उस्यैं त हर एक गौं क
लोग माल कै जान्यान
अफसोस कि म्यर गौं मैं
सिरफ तीन मौ रै ग्यान
होरी का ढोल बांज्छ्य
जै आंगन मैं हर बरस
वां रून्य आप्न गड़ भिड़ा
लै बान्ज बनै ग्यान