लोकगीत : नृत्य गीत :
मार झपुका सिलगड़ी का पार चाला मार झपुक
मार झपुका मैता का असुरज्यू हो मार झपुक
मार झपुका सब दिन दयाल होला मार झपुक
मारझपुका गंगा ज्यू का बगड़ में हो मार झपुक
मार झपुका भुरा भुरा मेल ज्यू हो मार झपुक
मार झपुका धोपैरी को घाम लाग्यो मार झपुक
मार झपुका नां पानी नां सेल ज्यू हो मार झपुक
मार झपुका धौल बलद कैका होला मार झपुक
मार झपुका नौं घर हरी का ज्यू हो मार झपुक
मार झपुका यसा दिना रौंप हुन कि मार झपुक
मार झपुका जनम भरी का ज्यू हो मार झपुक
मार झपुका सिलगड़ी का पार चाला मार झपुक