सिनेमा: सिलसिला:
एक बात और कि अब तक जिन लोक कथाओं या किंवदन्तियों को आधार बनाकर
पौराणिक फिल्मों का सिलसिला शुरू हुआ था, वे धीरे धीरे अपना प्रभाव खोती चली
गईं और फिल्मकार उनके स्थान पर अन्य नवीन विषयों को लेकर व्यस्त होते चले गए।
स्वतंत्रता प्राप्ति के अनंतर शनैः – शनैः हिंदी सिनेमा में सामाजिक फिल्मों की जो बाढ़
आई, उसका असर लगातार बना रहा और अभी तक विद्यमान है।
जहां तक छठे दशक में बनी पौराणिक फिल्मों का प्रश्न है; 1951 में कृष्णलीला, लव
कुश, नन्दकिशोर, जय महाकाली, मुरली वाला, श्री गणेश जन्म, श्रीकृष्ण सत्यभामा,
लक्ष्मी नारायण, हनुमान पाताल विजय, श्रीविष्णु भगवान, जय महालक्ष्मी; 1952 में
विश्वामित्र, द्रौपदी, द्रौपदी वस्त्र हरण; 1953 में नाग पंचमी, रामराज्य, नवदुर्गा, पाताल
भैरवी, हरि दर्शन; 1954 में हनुमान जन्म, राधा कृष्ण, दुर्गा पूजा, शिवरात्रि, चक्रधारी,
शिवकन्या, गोकुल का राजा, कुष्ण सुदामा; 1955 में शिवभक्त, श्रीगणेश विवाह,
प्रभु कीमाया, वामन अवतार, नवरात्रि, सावित्री सत्यवान, सती मदालसा, एकादशी,
भागवत महिमानामक फिल्मों ने काफी लोकप्रियता अर्जित की।
इनके अलावा 1956 में गौरी पूजा, सती अनुसुइया, नागकन्या, द्वारकाधीश,
सुदर्शन चक्र,दशहरा, राम नवमी; 1957 में लक्ष्मी पूजा, भक्त ध्रुव, जनम
जनम के फेरे, हनुमान जन्म,चण्डी पूजा, जय अम्बे, पवन पुत्र हनुमान;
1958 में राम लक्ष्मण, भक्त गोपाल भैया, साक्षीगोपाल, दुर्गा माता, तीर्थयात्रा,
रामभक्त विभीषण, भक्त प्रह्लाद; 1960 में रामायण नामकफिल्मों का निर्माण हुआ।
1961 में सम्पूर्ण रामायण, सन्त ज्ञानेश्वर, रामलीला, सम्पूर्ण रामायण – रंगीन, जय
भवानी,भगवान बालाजी; 1962 में चार धाम, दुर्गा पूजा; 1963 में कण कण में
भगवान, संत ज्ञानेश्वर,हरिश्चंद्र तारामती, जय जगन्नाथ; 1964 में सीता मैया; 1965
में महाभारत; 1967 में रामराज्य,बद्रीनाथ यात्रा; 1968 में गंगा सागर व रामकृष्ण
नामक फिल्मों की जानकारी मिलती है, जो विगतदशकों में निर्मित पौराणिक फिल्मों
की तुलना में बहुत कम हैं।
बीसवीं शताब्दी के अंतिम दौर में एक फिल्म शनिदेव के उपर बनी और एकाधिक
फिल्में शिरडीवाले साईं बाबा को केन्द्र में रखकर बनाई गईं, जिनमें उनके भक्तों के
विश्वास तथा अंधविश्वास कासंघर्ष प्रदर्शित किया गया। साईं बाबा वाली फिल्मों में तो
अनेक मशहूर अभिनेताओं – धर्मेंद्र, राजेशखन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, मिथुन चक्रवर्ती, सचिन,
विजयेन्द्र घाटगे आदि ने उनकी भक्ति के गीत गाने काखुलकर अभिनय किया है। क्रमशः