लोकगाथा: लक्ष्य-बेध 3
हिंदी रूपांतर
पाँचों पाण्डव नर्मदा के किनारे थे।
पाण्डवों का कुली, संन्यासी वेष में था।
(उन्होंने) ब्रह्मचारी वेष धारण किए थे।
सिरों में लटाओ के मुकुट थे।
भोजपत्रों के कपड़े पहने थे।
कंद मूलों का भोजन करते थे।
(ये) पाण्डव हैं-यह कोई नहीं जानता था।
(वे) नर्मदा के तट पर तपस्या कर रहे थे।
पाँचाल देश में थे राजा द्रुपद।
द्रुपद राजा की कन्या थी द्रोपदी।
द्रुपद राजा ने स्वयंवर रचा था।
चारों दिशाओं के राजा बुलाए गए थे।
द्वारिकापुरी के यदुवंशी (उपस्थित) थे।
हस्तिनापुर के कौरव उपस्थित थे।
द्रुपद राजा ने लक्ष्य-बेध (की शर्त) बाँधी थी। क्रमशः