गीत: पेड़:
दस के बदले सौ का घाटा करते हैं
जो अपने पेड़ों को काटा करते हैं
जिनके पत्ते सांसों को सरसाते हैं
जिनके बौर हवाओं को महकाते हैं
जिनके फूल हर एक नज़र को भाते हैं
जिनके फल सब बड़े चाव से खाते हैं
जिनकी शाखों पर छोटे छोटे पंछी
सुबह शाम हेल्लो या टाटा करते हैं
जिनकी फुनगी पर कोयलिया गाती है
जिनकी टहनी गिलहरियों की थाती है
जिनकी माया मधुमक्खियां बुलाती है
जिनकी छाया सबकी थकन मिटाती है
जिनके पर उपकारवाद के उदाहरण
भेदभाव की खाई पाटा करते हैं