लोकगाथा: लक्ष्यबेध:
हिन्दी रूपान्तर: 1
लिपाई पुताई के बाद
जिसके घर सन्ध्या दीप जलता है-
उसी के घर में पूजावन्ती सन्ध्या बैठती है।
जिसके घर में सन्ध्या शंख बजता है,
उसी के घर में पूजावन्ती सन्ध्या बैठती है।
जिसके घर में दादा, पिता, लड़का सब संकर हों-
जिसके पितर पानी तक नहीं पाते,
(उनसे) सात कोस भागती है सन्ध्या।
ओह सन्ध्या आ गई! माता-सन्ध्या आ गाई।
ओह सन्ध्या माता, (तुम) कहाँ उत्पन्न हुईं?
दुग्ध-बसुधारा से सन्ध्या उद्भूत हुई।
चारों दिशाओं से सन्ध्या माता आईं।
तारामंडल से सन्ध्या माता आईं।
बूढ़ी सन्ध्या ने कहा-
मैं बड़ी हूँ।
युवती (सन्ध्या) ने कहा-मैं बड़ी हूँ।
आओ माँ सन्ध्या! हमारे घर आओ।
गायों और बालकों की सेवा-रक्षा करने वाली-
मालू के पत्तों में
(तुम्हारी) पूजा (सामग्री)सजाऊँगा। क्रमशः