लोकगीत : विरहगीत :
सरग तारा जुन्याली रात
को सुणलो यो मेरी बात
पाणी को मसीक सुवा पाणी को मसीक
तु न्हे गए परदेस मैं रूंलो कसीक
सरग तारा जुन्याली रात
को सुणलो यो मेरी बात
बिरहा की रात भागी बिरहा की रात
आंखिन बै आंसु झड़ी लागि बरसात
सरग तारा जुन्याली रात
को सुणलो यो मेरी बात
तेल त निमडि़ गोछ बुझणैछ बाती
तेरि माया ले मेडि़ दियो सरपै कि भांती
सरग तारा जुन्याली रात
को सुणलो यो मेरी बात
अस्यारी को रेट सुवा अस्यारी को रेट
आज का जाइया बटी कब होली भेंट
सरग तारा जुन्याली रात
को सुणलो यो मेरी बात