लोकगाथा: लक्ष्यबेध: 10
ए किया लेखा मर्यूँ छैतु किया बेद मरे?
ए आपण रौ-ब्यथ मैथें के न कूनै?
ए जै दिन तुमरो मृत जति लै ले भयो,
ए मुख आगी नाँई देख्यो, पीठ पीछा नाई।
मिरत का दिन तैंले पनियाँ न पायो।
मिरत का दिन तैंले बस्तर न पायो।
बस्तर न पायो तैले बस्तर देऊँला।
गंङा बगि मर्यूँ छैत भोंरि कटूँला।
पाँसो लागी मर्यूँ छै त जेऊँड़ी कटूँला।
ठुल तेरो कुल होलो ठुल छ बनेस।
अपण बन को नौं जन डुबाए।
बश दार होलै देवा खलि फोड़ि आलै।
बंश दार होलै देवा औतार दी देलै।
तेरा ल्यख देबा मैंले मुरली बजै छ।
मुरली का शबद ले मँथ लोक ऐजा।
मँथ लोक आलै देबा भगति करँला।
पाँचै पाण्डवन का भारत सुणूँला।
हरू-गंगा भागीरथी नाई धोई आए।
ए ऊँ-ऊँना देवता ले ली हाल्यो औतार।
औतार लियो देवता ले नरक उद्धार।