सिनेमा: प्रेम प्रधान:
एंग्री यंगमैन या एंटी हीरो वाली फिल्मों में उपलब्ध हिंसावादी तत्व से निजात
दिलाने के लिए 1994 में सूरज बड़जात्या ने हिंदी सिने दर्शकों की सेवा में
‘हम आपके हैं कौन’ प्रस्तुत की। बावरी मस्जिद के विध्वंस तथा मण्डल
आंदोलन से उत्प्रेरित हिंसामय वातावरण में निर्मित इस फिल्म ने पारिवारिक
जीवन में सुख और शांति की सद्भावना प्रकट की। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा
इस बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने
राष्ट्रपति भवन में विशेष व्यवस्था करवाकर इस फिल्म को देखा।
व्यावसायिक दृष्टि से भी ‘हम आपके हैं कौन’ बाॅक्स आफिस पर दो सौ करोड़
से ज्यादा आमदनी वाली पहली फिल्म मानी जाती है। एक खास बात और कि इस
फिल्म ने माधुरी दीक्षित को सर्वश्रेष्ठ नायिका साबित किया, जिसे लेकर चित्रकार
मकबूल फिदा हुसैन ने अपनी ‘गज गामिनी’ की कल्पना को साकार किया। अन्य
उद्योगों की तरह फिल्मोद्योग भी अपने उपभोक्ताओं के लिए वही बनाकर बेचना
चाहता है, जिसकी मांग हो।
अतः हिंदी सिने दर्शकों द्वारा प्रेम प्रधान प्रकरणों की अभिस्वीकृति का लाभ उठाने
के उद्देश्य से अनेक फिल्में बनीं, जिनमें दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे-1995,
यस बाॅस-1997, दिल तो पागल है-1998, कुछ कुछ होता है-1998, हम दिल दे
चुके सनम-1999 और मोहब्बतें-2000 विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। प्रेम प्रधान फिल्मों
की यह लहर इतनी लोकप्रिय हुई कि ‘कहो ना प्यार है’ – 1999 को कुल मिलाकर
92 पुरस्कार प्राप्त हुए। यह विश्व की सर्वाधिक पुरस्कार पाने वाली फिल्म है। क्रमशः