गजल: सिलसिले:
जिंदगी के सिलसिले
कुछ इस तरह के हो गए
मुस्कराना चाहते थे
पर अचानक रो गए
गांव के जंगल में चाहा था
खुशी के गुल खिलें
वक्त के जो दौर आए
ग़म के कांटे बो गए
आदमी के खूबसूरत
दिल की तस्वीरों के रंग
रोजमर्रा की जरूरत के
तकाजे धो गए
वाकई रंगीन है
दिलकश जवानी का सफ़र
पर सभी बूढे़ हुए
इस रास्ते से जो गए