लोकगीत : स्फुट गीत :
इस श्रेणी में पूर्वोक्त शीर्षकों से इतर कुमाऊं
में गाए जाने वाले वे सामान्य गीत आते हैं,
जिनके माध्यम से स्थानीय समाज की
मधुर कल्पनाएं, पुरातन प्रथाएं तथा सहज
आस्थाएं मुखरित होती हैं।
सांध्यगीत :
के संध्या झुली गेछ भगवाना
नीलकण्ठ हिमाला
के संध्या झुली गेछ हो रामा
अगास हे पताला
के संध्या झुली गेछ भगवाना
नौ खण्डा धरती मांझा
नौ खण्डा धरती मांझा हो रामा
तीना हो रे लोका
के संध्या झुली गेछ हो रामा
कृस्न ज्यू कि द्वारिका
के संध्या झुली गेछ हो रामा
यो रंगीली वैराटा
के संध्या झुली गेछ भगवाना
यो पंचवटी मांझा
के संध्या झुली गेछ भगवाना
के संध्या झुली गेछ
के संध्या झुली गेछ भगवाना
नीलकण्ठ हिमाला
के संध्या झुली गेछ हो रामा
अगास हे पताला