गजल: कब हुआ है:
दर्द ए दिल दर्जा ए आला
कब हुआ है
आदमी का ग़म निराला
कब हुआ है
कट रहे हैं
मुद्दतों से पेड़ पौधे
जंगलों में चाबी ताला
कब हुआ है
सो रहे जो तानकर
आलस की चादर
उनके आंगन में उजाला
कब हुआ है
जिंदगी में
लाख हेराफेरियां हैं
मौत में गड़बड़घोटाला
कब हुआ है