गजल: के बात नै:
ये दुन्य मैं क्वे आदमी
नादान नै हुन चैं
आचार है व्यवहार है
अनजान नै हुन चैं
के बात नै सम्मान नै
करना कै ई को तुम
तुमरा हथार कै इ को
अपमान नै हुन चैं
के बात नै गर फैद नै
दी सक्ना कै ई खन
तुमरा हथार कै इ को
नुकसान नै हुन चैं
के बात नै कोई खुसी
गर बांटि नै सक्ना
तुमरा हथार गमजदा
इ्रन्सान नै हुन चैं