लोकगाथा: लक्ष्यबेध: 8
सयानी स्यैनीन समजूँन लागी रेंन।
सुण इजू दुरुपदी हमरी चेली;
चेलिन ले परघरै जानूँ हो।
हिट बैना आब जाँनू हमीं यज्ञशाला हो।
दुरोपदी लली बाटा लागी गेंन।
राजकुमार हेरन लागि र्यान।
जास हेरनान चाखुड़ा चाँदनी,
तसा हेरनान राज रे कुमार।
पुरबै का राजा होला जूनासक राजा।
पछिम दिशा का होला मोरध्वज राजा।
उतरै दिशा का होला हिमाचली राजा।
दच्छिनें दिशा का होला तालध्वज राजा।
एक-एक कैबेर बाँण हँणनान।
तेल की भज्याली, होल जसौ देखींछ।
अर्जुन को; कृष्ण ज्यू हो दगड़ो कराला।
धरम का चक्कर में सुदर्शन लगाला। क्रमशः