लोकगीत : मंगल मूलक हुड़की बौल :
इनमें श्रम तथा संगीत के
समापन के समय कृषिकार्य
करने वालों और उनके
परिजनों के प्रति मंगल कामना
तथा बैलों के प्रति शुभेच्छा
व्यक्त की जाती है –
सैलयों बलदा सैलयों सैलयों
सींग के ल्याले खुर के ल्याले
फिरि फिरि जाले खइ भरि जाले
गाईं गिवाड़ की चारों चौकोट की
वल्ला कत्यूर की मल्ला कत्यूर की
कोसी वार की कोसी पार की
सैलयों बलदा सैलयों सैलयों
सैलयों बलदा सैलयों सैलयों
जतुक बाली ततुक डाली
जतुक खारा ततुक भखारा
सैलयों बलदा सैलयों सैलयों