
विनोद: प्रोपर्टी:
प्रेमी: (गाते हुए ) पैली-पैली बार बलिये ! दिल गया हार बलिये ! रब्बा मैंनंू प्यार हो गया … हाए .. ए .. ए …ए / ….जिएं तो जिएं कैसे …ए ….ए …बिन आपके।
प्रेमिका: (आते हुए) वाह ! मजा आ गया डार्लिंग ! कितना अच्छा मिक्स करते हो ? साॅरी फाॅर लेट।
प्रेमी: तुमने तो साॅरी कहकर पल्ला झाड़ लिया। (घड़ी की तरफ देखते हुए) मगर इंतजार की घड़ियां कितनी खराब होती हैं ?
प्रेमिका: प्रेमी का घड़ी वाला हाथ पकड़ते हुए) इतनी मामूली घड़ी पहनते क्यों हो ? वह भी चाइनीज। उतार फेंको इसे।
प्रेमी: फेंक दूंगा यार, पहले मेरी बात तो सुनो।
प्रेमिका: नहीं। पहले तुम मेरी बात सुनो। पता है, आज एक ‘लोफर’ मेरा पीछा कर रहा था, रास्ते में।
प्रेमी: वह पीछा कर रहा था, तो यह उसका ‘प्राॅब्लम’ था। तुम्हें क्या परेशानी थी ?
प्रेमिका: परेशानी थी ? तेज नहीं चल पा रहा था। धीरे-धीरे चल रहा था, नालायक।
प्रेमी: एक ‘लोफर’ की चाल की चिंता है तुम्हें। अपने ‘लवर’ की नहीं, जो तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता है।
प्रेमिका: (चौंककर) जीवनसाथी ! अभी हमें मिले चार दिन भी नहीं हुए और तुमने इतना बड़ा फैसला ले लिया ?
प्रेमी: चार दिन से तुम्हारे साथ जरूर हूं , पर तुम्हारा एकाउण्ट तो चार साल से देख रहा हूं। मैं उसी बैंक में काम करता हूं , जानेमन ! जहां तुम्हारा खाता है।
प्रेमिका: अच्छा ! …. अब समझी। ….. मेरे नाना ने काफी दौलत बैंक में जमा करवाई है। शायद इसीलिए तुम मुझसे ……….
प्रेमी: बिलकुल गलत समझ रही हो तुम ! तुम्हारे नाना ही क्या, कोई और रिश्तेदार भी इतनी दौलत जमा कराता, तो भी मैं ….
प्रेमिका: तो तुम यह क्यों कहते हो कि मैं बहुत बड़ी प्रोपर्टी की मालकिन हूं।
प्रेमी: तुम्हारे जैसे नाक-नक्श वाली लड़की से मोहब्बत करने का कोई ‘जेनुइन’ कारण भी तो होना चाहिए।