
लोकगीत : कृषि गीत :
इस शीर्षक के अंतर्गत कुमाऊं के ‘हुड़की
बौल’ नामक
गीत सम्मिलित हैं। ‘बौल’ का
शाब्दिक अर्थ श्रम (बल / जोर) होता है। हुड़का प्रमुख वाद्य
है। अत: हुड़के के साथ जो
श्रम किया जाए अथवा हुड़के के स्वर के साथ जो गीत गाए जाएं, उन्हें
‘हुड़की
बौल’
कहते हैं। ये खेतों की रोपाई करते
समय गाए जाते हैं। इनकी गति बहुत धीमी होती है,
क्योंकि गायक का उद्देश्य श्रमिकों
को कृषिकार्य में संलग्न रखना होता है।
हुड़की बौल
आषाढ़ के महीने में कुमाऊं के गांवों के लोगों को ‘हुड़की बौल’ के साथ-साथ
कृषिकार्य करते हुए देखा जा सकता है। ये कृषिगीत हुड़किया गायक द्वारा खेतों
में काम करने वाले नर-नारियों को श्रम हेतु प्रेरित करने के लिए ओजपूर्ण शैली
में गाए जाते हैं। इनके कई प्रकार हैं; जैसे – प्रार्थना मूलक, निमंत्रण मूलक ,
कथा मूलक , मंगल मूलक, आदि।