
उत्तराखण्ड: संकलन:
भारतीय साहित्य एवं संस्कृति के गंभीर अध्येता तथा प्रसिद्ध भाषाषास्त्री जाॅर्ज ग्रियर्सन ने लोक साहित्य के संकलन में महान योगदान दिया है। उन्होंने अपने द्वारा संग्रहीत लोक साहित्य का मूल पाठ देकर उसका अंग्रेजी अनुवाद भी प्रस्तुत किया है। ग्रियर्सन ने बिहारी, भोजपुरी तथा मगही के लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति का उद्धार किया है। भारतीय लोक साहित्य एवं संस्कृति के उन्नायकों में विलियम हुक का योगदान भी चिरस्मरणीय है। उन्होंने ‘नार्थ इण्डिया नोट्स एण्ड क्वेरीज़’ पत्रिका के प्रकाषन से भारतीय लोक साहित्य को विकसित करने में अपना सराहनीय योगदान दिया है।
प्रारंभ में लोक साहित्य का संकलन करने वाले भारतीय विद्वानों में बंगाल में डाॅ0 दिनेष चंद्र सेन, बिहार में षरत् चंद्र राय, उत्तर प्रदेष में राम नरेष त्रिपाठी, गुजरात में झबेर चंद्र मेघाणी के नाम विषेष रूप से उल्लेखनीय हैं। बीसवीं षताब्दी में भोजपुरी लोक साहित्य में डाॅ0 कृष्णदेव उपाध्याय, मैथिली लोक साहित्य में डाॅ0 तेज नारायण लाल अग्रवाल, ब्रज लोक साहित्य में डाॅ0 सत्येन्द्र तथा राजस्थानी लोक साहित्य में सूर्य करण पारीख ने सराहनीय कार्य किया है।
कष्मीरी लोक साहित्य में मोहन कृष्ण दर, गढ़वाली लोक साहित्य में डाॅ0 गोविन्द चातक तथा कुमाउनी लोक साहित्य में डाॅ0 कृष्णानंद जोषी ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। कुमाउनी लोक साहित्य पर कार्य करने वाले अन्य विद्वानों में डाॅ0 त्रिलोचन पाण्डे, डाॅ0 नारायण दत्त पालीवाल, डाॅ0 प्रयाग जोषी, डाॅ0 डी0 डी0 षर्मा, डाॅ0 उर्बादत्त उपाध्याय व जुगल किशोर पेटशाली के नाम अग्रगण्य हैं।