गजल: बात :

बात जो जाहिर नहीं थी आपके इकरार में
बात वो हासिल हुई है आपके इनकार में
वो सही माने में लेंगे अपनी सब खुशियाँ खरीद
जो पसीना बेचते हैं काम के बाजार में
घुँघरुओं में गूँजती है भीतरी कंकड़ की चोट
मस्त हैं सब घुँघरुओं की बाहरी झनकार में
द्रौपदी सा काम करती हैं अनेकों नारियाँ
द्रौपदी सा नाम केवल एक है संसार में