
लोकभाषा: समास:
पूर्व तथा पर प्रत्ययों के योग के अतिरिक्त दो शब्दों के संयोग से भी यौगिक शब्दों की रचना होती है जिसे समास रचना कहते हैं। समास रचना में दो शब्दों के मध्य का सम्बन्ध् तत्व लुप्त हो जाता है। इस प्रकार रचित शब्द को समस्त पद कहते हैं। समस्त पद का पहला पद पूर्वपद तथा दूसरा पद उत्तर पद कहलाता है। कुमैयाँ में समासों की चार कोटियाँ हैंः
पूर्व पद प्रधान
इस कोटि में वे समास आते हैं, जिनमें पूर्व पद प्रधान होता है, जैसे –
अव्ययी भावः जिस समास में पूर्व पद अव्यय होता है और दोनों पदों में प्रधान होता है, उसे अव्ययी भाव समास कहते हैं, जैसेः हरेक।
उत्तर पद प्रधान
इस कोटि में वे समास आते हैं जिनमें उत्तर पद प्रधान होता है, जैसेः
तत्पुरुषः तत् यानि वह और पुरुष यानि आदमी। वह आदमी में उत्तर पद प्रधान है तथा पूर्व पद विशेषण का कार्य कर रहा है। तत्पुरुष समास का पूर्व पद विशेषण भी होता है और संज्ञा भी होता है। पूर्व पदों के आधार पर तत्पुरुष को तीन भागों में बाँटा जाता है।
- द्विगुः जिस समास में पूर्व पद संख्या वाचक हो और उत्तर पद प्रधान हो, उसे द्विगु समास कहते हैं, जैसेः तिरसूल, चौमास।
- कर्मधरयः जिस समास में पूर्व पद विशेषण हो और उत्तर पद प्रधान हो उसे कर्मधारय समास कहते हैं, जैसेः का्लो्मा्टो्, लालफूल ।
- तत्पुरुषः जिस समास में पूर्व पद संज्ञा हो और उत्तर पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में दोनों पदों के मध्यवर्ती परसर्ग लुप्त हो जाते हैं, जैसेः हथकड़ि, ख्वरपीड़, घरपैंस।