
लोकगाथा: लक्ष्यबेध:
जैक घर साँस ब्याल लिपि-घँसि दियो बल-
तैक घर संज्या बैठ हो पुजावंती।
जैक घर साँस बयाल षांख बाज,
तैक घर संज्या बैठ हो पुजावंती।
जैक घर बूब ढाँटो, चेलो ढाँटो-
जैक पितर पानी न पूँना,
सात कोष संजया भाज।
ऐ संज्या ऐंन, माता संज्या ऐंन।
ए संजया माता काँ उपजी?
ए दूद बसुधारा संजया रे उपजी।
चारों दिषान बटी संज्या माता ऐंन।
तारा मंडल है बेर संजया माता ऐंन। क्रमशः