लोकगीत : त्योहार सम्बन्धी लोकगीत :

लोकगीत : त्योहार सम्बन्धी लोकगीत :

फूलदेई : चैत्रमास की प्रथम तिथि को नववर्ष का स्वागत करते हुए बच्चे नए उल्लास के साथ सज-धज कर, रंग-बिरंगे फूल लेकर सबसे पहले गांव के मुखिया के घर पर एकत्र होते हैं और फूलदेई का मंगल गीत प्रारंभ करते हैं। फिर घर-घर की द्वार पूजा करते हुए गाए जाने वाले इस गीत का आशय यह है कि जिस तरह नई ॠतु में वृक्ष पुष्पित पल्लवित हो रहे हैं, उसी तरह इस घर के भण्डार भी भरें-

फूलदेई फूलदेई फूलों संग्यान
सुफल करा नौं बरस तुम कैं भगवान
रंगिल चंगिल फूल ऐ ग्यीं डाला बोट हरिया है ग्यीं
भिड़ कानई फूलै फूल आज फूलौ संग्यान
पौन ऐंछ ठण्डी-ठण्डी फूलौं हंसी मंदी-मंदी
आज त्यारो नौं बरस आज फूलौ संग्यान

हरियाला :

श्रावण मास की प्रथम तिथि को मनाए जाने वाले हरियाला 
त्योहार के अवसर पर निम्नलिखित गीत गाया जाता है –

हरयाली रे हरयाली, हरिया बण जाली
दुबड़ी कैंछ दुबै चडि़ जूंलो
चेली कैंछ मैं मैतुलि जूंलो, आओ चेलि खिलकन मैत
तुमारे बाबू घर, तुमारे भइयन घर हरयाली को त्यार 

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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