
गजल: जो :
कौन हैं गम के अंध्रेरे को भगा देते हैं जो
धड़कनों में मकसदों की लौ लगा देते हैं जो
जि़न्दगी में कीमती हैं सिर्फ वो लम्हे जनाब
नेक औ उम्दा खयालों को जगा देते हैं जो
चार दिन के बाद पछताते हैं अपने हाल पर
बोल कर के झूठ अपनों को दगा देते हैं जो
जो सजा देते हैं उनसे भी बड़े हैं लोग वो
आदमी को प्यार से समझा-बुझा देते हैं जो