कव्वाली: खुसी कि बात:

कव्वाली: खुसी कि बात:

खुसी कि बात कि कूनान हसीन रात लगै
नई उमंग मैं थ्वड़ मस्त लै रईन्यै भै
राज दरबार हो घरबार हो या जंगल हो
हजूर कून जसि बात त कईन्यै भै

रात जुन्याली जब अगन लगाली
रात जुन्याली सारी रात सताली

उदास रात मैं जब याद तेरी औंछि सुआ !
अन्यारपट्ट मैं एक जोत जसि जलौंछि सुआ !

रंग गुलाबी चुन्नी प्यांली
नाकै नथुली कानै बाली
रात जुन्याली जब अगन लगाली
रात जुन्याली सारी रात सताली

जब काईं दूर है मुरली कि तान औंछि सुआ !
निरास झन होए एस बार बार कौंछि सुआ !

जब ब्योली की डोली आली
हर एक धड़कन त्यार मनाली
रात जुन्याली जब अगन लगाली
रात जुन्याली सारी रात सताली

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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