
गजल: डर:
जिंदगी में बड़ी उदासी है
दर्द ताजा है चोट बासी है
आहटें धड़कनें बढ़ाती है
क्या बताएं वजह जरा सी है
शाम की झील के किनारे पर
तीरगी रोशनी की प्यासी है
जंगलों को है आदमी का डर
उसकी हर आरजू सियासी है
गजल: डर:
जिंदगी में बड़ी उदासी है
दर्द ताजा है चोट बासी है
आहटें धड़कनें बढ़ाती है
क्या बताएं वजह जरा सी है
शाम की झील के किनारे पर
तीरगी रोशनी की प्यासी है
जंगलों को है आदमी का डर
उसकी हर आरजू सियासी है